तुलसी भारतीय मूल की ऐसी औषधि है जिसका सांस्कृतिक महत्व है। यहाँ घर में इसके पौधे की उपस्थिति को दैवीय उपहार और सौभाग्यशाली समझा जाता है। भारत में पाई गई यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण और चमत्कारिक औषधि है।
तुलसी शरीर, मन और आत्मा की पीड़ा हरने वाली है। कहा जाता है कि तुलसी में दाह को कम करने, जीवाणुनाशक तथा मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो संक्रमण को दूर करने के साथ-साथ तनाव और अन्य बीमारियों के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति के मुताबिक तुलसी में बीमारियों को ठीक करने की जबर्दस्त क्षमता है। यह सर्दी-जुकाम के प्रभाव को कम कर देती है और बुखार कम करने साथ मलेरिया, चिकनपॉक्स, मीजल्स, एन्फ्लूएंजा और अस्थमा जैसी बीमारियों को भी ठीक कर देती है। तुलसी खासतौर पर दिल की रक्त वाहिकाओं, लीवर, फेफड़े, उच्च रक्तचाप तथा रक्त शर्करा को भी कम करने में मददगार साबित होती है।
Tuesday, July 6, 2010
सॉफ्ट ड्रिंक
सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक, पेप्सी, कोक, मिरिंडा... ये शब्द हमारे बच्चों के जीवन में आम होते जा रहे हैं। टीवी पर दिखाए जा रहे विज्ञापनों से भ्रमित करके ये 'ड्रिंक्स' हमारी व हमारे बच्चों की जिंदगी में काफी हद तक घुसपैठ कर चुके हैं। कभी हमें लगता है कि यह थके हुए बच्चे में एकदम ऊर्जा भर देगा, तो कभी हम इसे स्टेटस सिंबल मानते हुए अपने बच्चे को इन्हें पीने से रोकते नहीं या स्वयं प्रेरित करते हैं। क्या हम कभी यह भी सोचते हैं कि हमारे इन पसंदीदा पेय का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। आइए जानते हैं इनकी हकीकत।
क्या होता है सॉफ्ट ड्रिंक?
सॉफ्ट ड्रिंक्स नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स होते हैं अर्थात इनमें अल्कोहल नहीं होता है। इसलिए ये 'सॉफ्ट' होते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में कोला, फ्लेवर्ड, वाटर, सोडा पानी, नींबू पानी (यदि सोडे में है तो), आइस्ड टी आदि आते हैं। इसमें दूध या दूध से बने पदार्थ शामिल नहीं हैं। हॉट चॉकलेट, हॉट कॉफी, मिल्क शेक इसमें शामिल नहीं हैं।
क्या होता कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स?
सॉफ्ट ड्रिंक्स जिनमें अंदर गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) होती है वे कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स कहलाती है। इनमें सभी तरह के सोडा, कोक, कोला, पेप्सी आदि शामिल हैं।
क्या करता है सॉफ्ट ड्रिंक हमारे शरीर में?
सॉफ्ट ड्रिंक में मुख्यतः दो प्रमुख तत्व अधिकता में होते हैं- (1) शुगर, (2) फॉस्फोरस। इन्हीं दो चीजों की अधिकता इसे शरीर के लिए नुकसानदायक बनाती है।
मोटापा : सॉफ्ट ड्रिंक्स जंक फूड की कैटेगरी में आते हैं। जंक फूड्स में कैलोरीज व शुगर अधिक मात्रा में होती है, लेकिन इनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू जीरो होती है इसलिए अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक मतलब मोटापे को निमंत्रण।
टूथ डिके : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद शुगर एवं एसिड बच्चों के दाँत सड़ने के कई कारणों में से एक कारण सामने आया है। इन ड्रिंक्स में मौजूद एसिड दाँतों के रक्षा कवच (टूथ इनेमल) को धीरे-धीरे खाने लगता है।
हड्डियों को कमजोर करना : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) के कारण बच्चों की हड्डियों से कैल्शियम बाहर आता है जिससे उनके बोन्स कमजोर होते हैं। इस ड्रिंक्स में मौजूद अधिक मात्रा में फॉस्फोरस भी कैल्शियम को हड्डियों से बाहर निकालता है।
क्या होता है सॉफ्ट ड्रिंक?
सॉफ्ट ड्रिंक्स नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स होते हैं अर्थात इनमें अल्कोहल नहीं होता है। इसलिए ये 'सॉफ्ट' होते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में कोला, फ्लेवर्ड, वाटर, सोडा पानी, नींबू पानी (यदि सोडे में है तो), आइस्ड टी आदि आते हैं। इसमें दूध या दूध से बने पदार्थ शामिल नहीं हैं। हॉट चॉकलेट, हॉट कॉफी, मिल्क शेक इसमें शामिल नहीं हैं।
क्या होता कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स?
सॉफ्ट ड्रिंक्स जिनमें अंदर गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) होती है वे कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स कहलाती है। इनमें सभी तरह के सोडा, कोक, कोला, पेप्सी आदि शामिल हैं।
क्या करता है सॉफ्ट ड्रिंक हमारे शरीर में?
सॉफ्ट ड्रिंक में मुख्यतः दो प्रमुख तत्व अधिकता में होते हैं- (1) शुगर, (2) फॉस्फोरस। इन्हीं दो चीजों की अधिकता इसे शरीर के लिए नुकसानदायक बनाती है।
मोटापा : सॉफ्ट ड्रिंक्स जंक फूड की कैटेगरी में आते हैं। जंक फूड्स में कैलोरीज व शुगर अधिक मात्रा में होती है, लेकिन इनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू जीरो होती है इसलिए अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक मतलब मोटापे को निमंत्रण।
टूथ डिके : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद शुगर एवं एसिड बच्चों के दाँत सड़ने के कई कारणों में से एक कारण सामने आया है। इन ड्रिंक्स में मौजूद एसिड दाँतों के रक्षा कवच (टूथ इनेमल) को धीरे-धीरे खाने लगता है।
हड्डियों को कमजोर करना : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) के कारण बच्चों की हड्डियों से कैल्शियम बाहर आता है जिससे उनके बोन्स कमजोर होते हैं। इस ड्रिंक्स में मौजूद अधिक मात्रा में फॉस्फोरस भी कैल्शियम को हड्डियों से बाहर निकालता है।
स्वस्थ रहने के 20 सूत्र
दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें। इसके लिए अपनाइए सरल-सा 20 सूत्री जीवन।
* प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी।
* शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।
* भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।
* मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
* गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ।
* वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम करने की आदत डालें। जहाँ तक हो कम दूरी के लिए पैदल जाएँ। इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी रहकर आकर्षक बने रहेंगे, साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होंगे।
* भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में फल-सब्जियों का प्रयोग करें। उनसे आवश्यक तैलीय तत्व प्राप्त करें, शरीर के लिए आवश्यक तेल की पूर्ति प्राकृतिक रूप के पदार्थों से ही प्राप्त करें।
* दिमाग में सुस्ती नहीं आने दें, कार्य को तत्परता से करने की चाहत रखें।
* घर के कार्यों को स्वयं करें- यह कार्य अनेक व्यायाम का फल देते हैं।
* व्यस्तता एक वरदान है, यह दीर्घायु होने की मुफ्त दवा है, स्वयं को व्यस्त रखें।
* कपड़े अपने व्यक्तित्व के अनुरूप पहनें। थोड़े चुस्त कपड़े पहनें, इससे फुर्ती बनी रहेगी।
* जीवन चलने का नाम है, गतिशीलता ही जीवन है, यह सदा ही याद रखें।
* अपने जीवन में लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखें।
* सुबह एवं रात में मंजन अवश्य करें। साथ ही सोने से पूर्व स्नान कर कपड़े बदलकर पहनें। आप ताजगी महसूस करेंगे।
* शरीर का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग रोम छिद्रों के माध्यम से श्वसन करता है। इसीलिए शयन के समय कपड़े महीन, स्वच्छ एवं कम से कम पहनें। सूती वस्त्र अतिउत्तम होते हैं।
* बालों को हमेशा सँवार कर रखें। अपने बालों में तेल का नियमित उपयोग करें। बाल छोटे, साफ रखें, अनावश्यक बालों को साफ करते रहें।
* नियमित रूप से अपने आराध्य देव के दर्शन हेतु समय अवश्य निकालें। आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, अपनी धर्म पद्धति के अनुसार ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करें।
* क्रोध के कारण शरीर, मन तथा विचारों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। क्रोध के क्षणों में संयम रखकर अपनी शारीरिक ऊर्जा की हानि से बचें।
* मन एवं वाणी की चंचलता से अनेक अवसरों पर अपमानित होना पड़ सकता है। अतः वाणी में संयम रखकर दूसरों से स्नेह प्राप्त करें, घृणा नहीं।
* प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी।
* शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।
* भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।
* मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
* गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ।
* वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम करने की आदत डालें। जहाँ तक हो कम दूरी के लिए पैदल जाएँ। इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी रहकर आकर्षक बने रहेंगे, साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होंगे।
* भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में फल-सब्जियों का प्रयोग करें। उनसे आवश्यक तैलीय तत्व प्राप्त करें, शरीर के लिए आवश्यक तेल की पूर्ति प्राकृतिक रूप के पदार्थों से ही प्राप्त करें।
* दिमाग में सुस्ती नहीं आने दें, कार्य को तत्परता से करने की चाहत रखें।
* घर के कार्यों को स्वयं करें- यह कार्य अनेक व्यायाम का फल देते हैं।
* व्यस्तता एक वरदान है, यह दीर्घायु होने की मुफ्त दवा है, स्वयं को व्यस्त रखें।
* कपड़े अपने व्यक्तित्व के अनुरूप पहनें। थोड़े चुस्त कपड़े पहनें, इससे फुर्ती बनी रहेगी।
* जीवन चलने का नाम है, गतिशीलता ही जीवन है, यह सदा ही याद रखें।
* अपने जीवन में लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखें।
* सुबह एवं रात में मंजन अवश्य करें। साथ ही सोने से पूर्व स्नान कर कपड़े बदलकर पहनें। आप ताजगी महसूस करेंगे।
* शरीर का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग रोम छिद्रों के माध्यम से श्वसन करता है। इसीलिए शयन के समय कपड़े महीन, स्वच्छ एवं कम से कम पहनें। सूती वस्त्र अतिउत्तम होते हैं।
* बालों को हमेशा सँवार कर रखें। अपने बालों में तेल का नियमित उपयोग करें। बाल छोटे, साफ रखें, अनावश्यक बालों को साफ करते रहें।
* नियमित रूप से अपने आराध्य देव के दर्शन हेतु समय अवश्य निकालें। आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, अपनी धर्म पद्धति के अनुसार ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करें।
* क्रोध के कारण शरीर, मन तथा विचारों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। क्रोध के क्षणों में संयम रखकर अपनी शारीरिक ऊर्जा की हानि से बचें।
* मन एवं वाणी की चंचलता से अनेक अवसरों पर अपमानित होना पड़ सकता है। अतः वाणी में संयम रखकर दूसरों से स्नेह प्राप्त करें, घृणा नहीं।
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