सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक, पेप्सी, कोक, मिरिंडा... ये शब्द हमारे बच्चों के जीवन में आम होते जा रहे हैं। टीवी पर दिखाए जा रहे विज्ञापनों से भ्रमित करके ये 'ड्रिंक्स' हमारी व हमारे बच्चों की जिंदगी में काफी हद तक घुसपैठ कर चुके हैं। कभी हमें लगता है कि यह थके हुए बच्चे में एकदम ऊर्जा भर देगा, तो कभी हम इसे स्टेटस सिंबल मानते हुए अपने बच्चे को इन्हें पीने से रोकते नहीं या स्वयं प्रेरित करते हैं। क्या हम कभी यह भी सोचते हैं कि हमारे इन पसंदीदा पेय का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। आइए जानते हैं इनकी हकीकत।
क्या होता है सॉफ्ट ड्रिंक?
सॉफ्ट ड्रिंक्स नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स होते हैं अर्थात इनमें अल्कोहल नहीं होता है। इसलिए ये 'सॉफ्ट' होते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में कोला, फ्लेवर्ड, वाटर, सोडा पानी, नींबू पानी (यदि सोडे में है तो), आइस्ड टी आदि आते हैं। इसमें दूध या दूध से बने पदार्थ शामिल नहीं हैं। हॉट चॉकलेट, हॉट कॉफी, मिल्क शेक इसमें शामिल नहीं हैं।
क्या होता कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स?
सॉफ्ट ड्रिंक्स जिनमें अंदर गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) होती है वे कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स कहलाती है। इनमें सभी तरह के सोडा, कोक, कोला, पेप्सी आदि शामिल हैं।
क्या करता है सॉफ्ट ड्रिंक हमारे शरीर में?
सॉफ्ट ड्रिंक में मुख्यतः दो प्रमुख तत्व अधिकता में होते हैं- (1) शुगर, (2) फॉस्फोरस। इन्हीं दो चीजों की अधिकता इसे शरीर के लिए नुकसानदायक बनाती है।
मोटापा : सॉफ्ट ड्रिंक्स जंक फूड की कैटेगरी में आते हैं। जंक फूड्स में कैलोरीज व शुगर अधिक मात्रा में होती है, लेकिन इनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू जीरो होती है इसलिए अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक मतलब मोटापे को निमंत्रण।
टूथ डिके : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद शुगर एवं एसिड बच्चों के दाँत सड़ने के कई कारणों में से एक कारण सामने आया है। इन ड्रिंक्स में मौजूद एसिड दाँतों के रक्षा कवच (टूथ इनेमल) को धीरे-धीरे खाने लगता है।
हड्डियों को कमजोर करना : कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद गैस (कार्बन डाईऑक्साइड) के कारण बच्चों की हड्डियों से कैल्शियम बाहर आता है जिससे उनके बोन्स कमजोर होते हैं। इस ड्रिंक्स में मौजूद अधिक मात्रा में फॉस्फोरस भी कैल्शियम को हड्डियों से बाहर निकालता है।
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