एक बार अकबर और बीरबल टहलते हुए नगर के बाहर एक पहाड़ी इलाके में चले गए। रास्ता पथरीला और ऊबड़-खाबड़ था। अकबर को चलने में परेशानी हो रही थी। उन्होंने देखा कि एक किसान कंकड़-पत्थर पर भी बड़े आराम सो रहा है। उन्होंने कहा, 'उस आदमी को देखो बीरबल। ऐसे कंकड़ पत्थर वाले रास्ते पर चलना मुश्किल हो रहा है और वह आदमी मजे से सो रहा है। ताज्जुब है कि उसे नींद कैसे आई।' इस पर बीरबल बोले, 'ताज्जुब की कोई बात नहीं। इसका रहस्य जानने के लिए इसे अपने साथ लेकर चलते हैं।
कुछ दिन इसे राजमहल में रख कर उसकी निगरानी करेंगे तब पता चलेगा कि इसे कंकड़-पत्थर पर नींद कैसे आती है।' बीरबल उसे अपने साथ राजमहल ले आए। वहां उसको सारी सुविधाएं दी गई। सोने के लिए नरम गद्दा दिया गया। उसके पास कोई काम भी नहीं था। किसान को कभी ढंग से नींद नहीं आई। तब बीरबल ने उसके बिछावन के नीचे छोटे-छोटे पत्थर रखवा दिए और ऊपर से चादर बिछा दी। सबको लगा कि किसान को कंकड़ पर सोने की आदत है इसलिए आज रात तो उसे अच्छी नींद जरूर आएगी। पर उस रात भी किसान करवटें बदलता रह गया।
बीरबल ने अकबर के पास जाकर कहा, 'आप जिस बात को लेकर ताज्जुब कर रहे थे, उसकी सचाई सामने है। यह आदमी न तो आरामदायक गद्दे पर सो सका न ही कंकड़ भरे बिछावन पर।' अकबर ने पूछा, 'इसका कारण क्या है?' बीरबल ने उत्तर दिया, 'जो आदमी कड़ी मेहनत करता है वह हर परिस्थिति का सामना कर सकता है। वह कहीं भी सो सकता है। कंकड़ पत्थर पर भी और नरम गद्दे पर भी। हमने सोचा कि इस किसान को पत्थरों पर सोने की आदत है। पर ऐसा नहीं है। श्रम न करने की वजह से यह कंकड़ भरे बिछावन पर भी नहीं सो सका।' अकबर समझ गए कि अच्छी नींद का संबंध श्रम में है।
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