Wednesday, July 14, 2010

दालचीनी और शहद का संगम

दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, और बैक्टीरियारोधी है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि दालचीनी सिर्फ गरम मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है।

शहद को कौन नहीं जानता! मधुमक्खियों की कड़ी मेहनत का फल है शहद। कई तरह की शर्कराएँ जैसे ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सुक्रोज का भंडार है शहद। इसके साथ ही इसमें तरह-तरह के अमीनो अम्ल और लिपिड भी मिलते हैं। शहद शीतल, स्वादिष्ट तथा कृमिनाशक है। श्वास रोग, हिचकी और अतिसार में यह उपयोगी है। क्षयरोग को नष्ट करता है और सबसे खास बात यह है कि यह योगवाही है अर्थात जिसके साथ इसका योग हो, उसके समान गुण करने वाली है।

दालचीनी और शहद के मिश्रण को सोने पर सुहागा कहा जाता है। ऐसा कौन-सा रोग है, जिसका इलाज इस योग द्वारा नहीं किया जा सकता है! गठिया, दमा, पथरी, दाँत का दर्द, सर्दी-खाँसी, पेट रोग, थकान, यहाँ तक कि गंजेपन का भी इलाज इस मिश्रण के द्वारा किया जा सकता है। आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधि के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त की जा रही है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं।

कनाडा से प्रकाशित 'वीकली वर्ल्ड न्यूज' में पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के आधार पर दालचीनी और शहद से ठीक होने वाले रोगों की एक सूची दी गई है। स्कीन के साथ बॉडी को भी चमकदार और हेल्दी बनाने के लिए इन दोनों का उपयोग करना चाहिए।

दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

गर्मी में लगाएँ ये पौधे

तपती हुई गर्मी से हर कोई परेशान है। सुबह होते ही गर्मी का कहर शुरू हो जाता है। दिन भर चलने वाली लू से न केवल लोग बेहाल हैं बल्कि इस प्रचंड गर्मी पेड़-पौधे भी सूख रहे हैं। ऐसी गर्मी से न केवल अपने आप को बचाने बल्कि पेड़-पौधों की विशेष देखभाल की भी जरुरत है।

थोड़ी सी लापरवाही से घर की साज-सज्जा और सुंदरता बढ़ा रहे पौधे सूख कर खराब हो सकते हैं। इसलिए इस मौसम में न सिर्फ पौधों की देखभाल की जरुरत है बल्कि घर में ऐसे पौधों का चयन किया जाना चाहिए जो कि गर्मी के मौसम में भी हरे भरे और सुंदर रहें।

-साइकस पाम,
-फिनिक्स पाम,
-युका,
-लोलीना,
-यूफोरविया,
-मिली,
-बोगन वैली,
-यूनीप्रेस

ऐसे पौधे हैं जिन पर गर्मी का बहुत अधिक असर नहीं पड़ता है। नियमित रूप से पानी देने से ये पौधे गर्मी में भी हरे भरे रहते हैं।

मेथी के दानों में सेहत का राज

मेथी महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है। इसमें विटामिन के साथ धात्विक पदार्थ और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अधिकांश लोग मेथी की कड़वाहट के कारण इसे पसंद नहीं करते पर यही कड़वापन खाने का स्वाद बढ़ाता है, साथ ही यह भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है। मेथी में कड़वापन उसमें उपस्थित पदार्थ 'ग्लाइकोसाइड' के कारण होता है। मेथी में फॉस्फेट, लेसीथिन, विटामिन डी और लौह अयस्क होता है, जो आपकी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते हैं।

मेथी के दाने न सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करते हैं बल्कि शरीर को बाहरी सुंदरता देने में भी सहायक हो सकते हैं। मेथी के दानों को पीसकर यदि त्वचा पर लगाया जाए तो यह सुंदर और मुलायम बनती है। इसका प्रयोग घाव और जलने के इलाज में भी किया जाता है। पुराने समय में बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए गर्भवती स्त्री को मेथी खिलाई जाती थी।

मेथी में ऐसे पाचक एंजाइम होते हैं, जो अग्नाशय को अधिक क्रियाशील बना देते हैं। इससे पाचन क्रिया भी सरल हो जाती है। यह गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में भी उपयोगी है। मेथी के स्टेरॉइडयुक्त सैपोनिन और लसदार रेशे रक्त में शकर को कम कर देते हैं, इसलिए मेथी का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है। मेथी को यदि कुछ मात्रा में रोज लिया जाए तो इससे मानसिक सक्रियता बढ़ती है। साथ ही यह शरीर के कोलेस्ट्रॉल के स्तर भी घटता है।

:योगेश केसरवानी